
देहरादून, हाथीपांव क्षेत्र के जार्ज एवरेस्ट मार्ग पर एक निजी कंपनी द्वारा अवैध रूप से प्रवेश शुल्क वसूलने का मामला सामने आने पर DM सविन बंसल ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि स्थानीय लोगों से जुड़ी समस्या का जल्द से जल्द निराकरण हो, मामले मे लेटलतीफी होने पर लापरवाह अधिकारीयों पर कार्रवाई की बात भी कही है। वंही आज उपजिलाधिकारी मसूरी से उक्त प्रकरण मे स्थानीय लोग एक बार फिर से मिलने जा रहे हैं।
मामले मे मसूरी निवासी भगत सिंह और अभय नौटियाल ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जो तथ्य उजागर किए हैं, वे स्थानीय निवासियों के लिए एक गहरी चिंता और आक्रोश का कारण बन गए हैं। हाथीपांव स्थित कॉमन पार्क एस्टेट रोड, जो कि हमारी सामूहिक पहचान और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, पर पर्यटन विभाग द्वारा अवैध रूप से प्रवेश शुल्क वसूला जा रहा है। यह भूमि नगर पालिका मसूरी के स्वामित्व में है, लेकिन पर्यटन विभाग ने इसे एक निजी कंपनी को लीज पर देकर स्थानीय जनता के अधिकारों का घोर उल्लंघन किया है। ‘George Everest’
जॉर्ज एवेरेस्ट हाउस के निकट पार्किंग और प्रवेश शुल्क को लेकर स्थानीय निवासियों और पर्यटन विभाग के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, जिससे वहां हंगामे की घटनाएं भी देखने को मिल रही हैं। यह सिर्फ एक सड़क का मामला नहीं है; यह हमारे हक और सम्मान की लड़ाई है।
सुनवाई के दौरान स्पष्ट हुआ कि कॉमन पार्क एस्टेट रोड पर कभी भी कोई शुल्क नहीं लिया गया। पर्यटन विभाग ने दावा किया कि यह रोड उनकी संपत्ति है, लेकिन इस दावे का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया, जो कि प्रशासनिक अनुशासन का स्पष्ट उल्लंघन है। यह न केवल अवैध है, बल्कि हमारे जैसे सामान्य नागरिकों के प्रति अन्याय है।
मुख्य मांग:-
1. सार्वजनिक सड़क का अवैध उपयोग: कॉमन पार्क एस्टेट रोड वर्षों से हमारी सामूहिक संपत्ति है, और इस पर अवैध शुल्क वसूली हमारी आवाज़ को दबाने का एक तरीका है।
2. अनुचित अनुमति: पर्यटन विभाग ने बिना किसी वैध अनुमति के निजी कंपनी को बैरियर स्थापित करने की अनुमति दी है, जो कि हमारे हक और हमारे अधिकारों का उल्लंघन है।
3. स्थानीय निवासियों की कठिनाइयाँ: अवैध शुल्क वसूली के कारण स्थानीय निवासियों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी दैनिक गतिविधियाँ प्रभावित हो रही हैं। यह स्थिति हमारे जीवन को कठिन बना रही है और हमें निरंतर संघर्ष में डाल रही है।
4. प्रमाण की मांग: यदि यह रोड वास्तव में पर्यटन विभाग की संपत्ति है, तो इसका प्रमाण प्रस्तुत किया जाए; अन्यथा, शुल्क वसूली का आधार स्पष्ट किया जाए।
स्थानीय निवासियों ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों से तात्कालिक और ठोस कार्रवाई की मांग की है, ताकि हमारी आवाजाही को सुरक्षित और निःशुल्क बनाया जा सके। यह न केवल हमारे अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि क्षेत्र में मानवता, नैतिकता और पारदर्शिता को भी सुनिश्चित करेगा।
पूरे प्रकरण को लेकर स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी देहरादून सविन बंसल से की उन्होंने कहा कि पर्यटन और निजी कंपनी की मिलीभगत से दशकों पुराने रास्ते पर कंपनी ने गेट लगाकर अवैध वसूली का कारोबार शुरू किया हुवा है, उन्होंने कहा कि जल्द मामले मे निराकरण नहीं किया जाता है तो स्थानीय लोग उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
वहीँ इस प्रकरण पर वरिष्ठ अधिवक्ता व् समाजसेवी पंकज क्षेत्री भी मुखरता से सामने आएं है उन्होंने खुद जोर्ज एवरेस्ट पहुंचकर मामले की पड़ताल की इस दौरान पंकज क्षेत्री ने बताया की राजस एरोस्पोर्ट्स एंड एडवेंचर कम्पनी द्वारा स्थानीय लोगों के साथ जाय्द्ती की जा रही है, लोकल से भी दौ सौ रुपए का प्रवेश शुल्क वसूला जा रहा है, उन्होंने बताया की वे खुद चार आदमियों के आठ सौ रुपए शुल्क अदा कर जार्ज एवरेस्ट पहुंचे थे साथ ही उन्हें गाड़ी की दौ सौ रुपए पार्किंग भी देनी पड़ी जोकि सरासर लूट है, साथ ही बताया की ये जगह सेंचुरी घोषित की गई फिर भी यहाँ जहाज उड़ाय जा रहें है उन्होंने कहा की वे इसके खिलाफ उच्च न्यायलय की शरण में जाएंगे और PIL दाखिल कर इसका जबाब मांगेंगे, उन्होंने इस दौरान पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को भी आड़े हाथों लिया…
इन आरोपों पर राजस एरोस्पोर्ट्स एंड एडवेंचर कम्पनी के मैनेजर ने बताया की यह सारे आरोप एकतरफा हैं राजस एरोस्पोर्ट्स एंड एडवेंचर कम्पनी ने जो प्रॉपर्टी लीज पर ली है उसपर उनका मालिकाना हक़ है और उसे कैसे चलाना है यह उनकी जिम्मेदारी है, उनकी प्रॉपर्टी के समीप ही पार्क एस्टेट भी है जिनकी अवाजाही हेतु कोई शुल्क नहीं लिया जाता है, साथ ही कहा की सेंचुरी घोषित एरिया भद्राज मंदिर वाली पहाड़ियाँ है नाकि जार्ज एवरेस्ट, उन्होंने कहा की कुछ लोग मुफ्त में ही जार्ज एवरेस्ट जैसी एतिहासिक जगह पर कारोबार करना चाहते हैं इसलिए बेवजह का विवाद पनपाया जा रहा है.