
मनमोहन भट्ट✍️ NIU, उत्तरकाशी
अतिक्रमण हटाओ के नाम पर अधिकारियों की मनमानी चरम पर है, बड़े व्यसायियों को बख्श देना और गरीब आदमी की रेहड़ी पटरी उजाड़ देना तो अब आम बात हो चुकी है, परन्तु अब अतिक्रमण हटाओ के नाम पर अधिकारी पहाड़ों में भी गंदगी फ़ैलाने का काम कर रहें है । ऐसा ही मामला सामने आया उत्तरकाशी से जहां अतिक्रमण हटाने की आड़ में वनविभाग के द्वारा गांव के वर्षों पुराने पेयजल टैंक को ही तोड़ दिया गया।

आपको बता दें कि पेयजल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में मौलिक अधिकारों में आता है यह जीवन, समाज व अर्थव्यवस्था का आधार है। ऐसे में फोरेस्ट की इस कार्रवाई को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश बना हुआ है। ग्रामीण बूँद बूँद पानी के लिए भी अब मोहताज हो रहें हैं। दरअसल मामला उत्तरकाशी जनपद के चोडियाट गांव का है जहां पर सन् 1960 से इसी पेयजल सोर्स से गांव में पानी की आपूर्ति की जा रही थी परन्तु आज 63 साल बाद फोरेस्ट द्वारा ध्वस्त कर दिया गया है।
इसी मामले को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि अतिक्रमण हटाने को लेकर विभागीय अधिकारियों की आंखों पर पट्टियां बंधी हुई है, उन्हें वास्तविक अतिक्रमण तो दिख नहीं रहा है और अतिक्रमण हटाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे है। परन्तु पानी जनजीवन, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण व समाज के लिए कितना अहम है यह शायद फोरेस्ट को नहीं पता था।