मनमोहन भट्ट, ब्रहमखाल/उत्तरकाशी।
खबर उत्तरकाशी से है जहां दशगी व भण्डारस्यूं पट्टी के मध्य देवल डांडा मे भगवान इष्ट नागराजा मेला बड़े धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया गया। ग्रामीण थौल्यारों ने इस बीच देब डोली का आशीर्वाद लिया। आपको बता दें कि यह मेला देवलडांडा मे हर वर्ष 4 गते असूज को मनाया जाता है तथा दूर- दूर गांवों से क्षेत्रीय ग्रामीण अपने घरों से दूध की धरियोल लेकर इस मेले में पहुंचते है। ग्रामीणों के द्वारा इक्ट्ठा किए गए दूध का भगवान नागराज अपने माली पश्वा पर अवतरित होकर दूध का स्नान लेते हैं।
भगवान कृष्ण को उत्तराखंड में सेम नागराज के रूप में पूजा जाता है। यहां के प्रजाधारी नागराज भगवान पट्टी दशगी व भण्डारस्यूं के कई गांवो के आराध्य देव है तथा सतजुली के सभी गांवो के ग्रामीण हर वर्ष बारी- बारी से अपने आराध्य की देबडोली खुशी- खुशी अपने कंधों पर ढोल दमाऊं के साथ अपने गांव ले जाते हैं तथा मेले के साथ त्योहार कर अच्छे अच्छे पकवान बनाए जाते हैं। इस क्षेत्र से विवाहित ध्याणियां भी अपने मायके पहुंचकर अपने इष्टदेव की देवडोली पर धूप दी व सृफल के साथ चांदी के छतर फुर्के चढाकर अपने परिवार की सुखसमृद्धि आशीर्वाद के साथ क्षेत्र की खुशहाली की कामना करती हैं।
इस मेले के मुख्य आयोजक ग्राम पंचायत जुणगा के साथ रेग्गी, मैनोल, तराकोट व टिपरा के ग्रामीण है। देवलडांडा सतजुली नागराज मंदिर समिति के अध्यक्ष बिजैन सिहं कुमाई ने बताया कि इस बार देबडोली मैनोल, रेग्गी, होते हुए जुणगा जाएगी, जहां 7 गते को देबता के मुख्य पुजारियों द्वारा मंत्रोचारण के साथ विधि विधान से देबडोली व मूर्तियों की पूजा अर्चना के साथ मंदिर के गर्व गृह मे सुरक्षित रखा जाएगा।