दीप मैठाणी NIU ✍️ पौड़ी: ग्रामपंचायत के तोक गांव कोटा मे 5 साल का आदित्य पुत्र देवेंद्र अपनी मां के साथ रक्षाबंधन पर्व मनाने नानी के घर आया हुआ था। लेकिन देर शाम 7 बजे आदित्य को घर के आंगन से नरभक्षी गुलदार उठा के ले गया और उसे अपना निवाला बना दिया, घटना के बाद से परिवार में मातम पसरा हुआ है,
माँ के घर मायके आई अर्चना के बेटे को गुलदार उठा कर ले गया। देर रात तक उस मासूम की झाडियों में एक टांग ही मिली थी। जिंदगी भर यह दर्द अर्चना को सालता रहेगा। यह घटना कल देर शाम पौड़ी के रिखणीखाल के गांव कोटा में घटी। गुलदार आंगन से बच्चे को उठा कर ले गया और ग्रामीणों के तलाशने पर देर रात तक बच्चे का एक पैर झाड़ियों में मिला है। पहाड़ में ये पहली घटना नहीं है।
राज्य गठन के बाद से लेकर अब तक मानव-वन्य जीवन संघर्ष में 1125 से भी अधिक लोगों की जान जा चुकी हैं। सबसे अधिक जान गुलदार लेता है। वन्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में 3100 से भी अधिक गुलदार, 560 बाघ, 2 लाख गूणी-बांदर और 50 हजार से भी अधिक जंगली सूअर हैं। वन विभाग ने जंगली सूअरों की गणना करना 2008 से ही छोड़ दिया। ये वन्य जीव अब गांवों और आंगन तक बेखौफ पहुंच जाते हैं। बंदर तो लोगों के घरों में घुस जाते हैं। जमकर उत्पात करते हैं।
प्रदेश मे सरकारें आई और गईं, लेकिन सूने होते हुए पहाड़ों की और वहां रहने वालों की किसी ने सुध नहीं ली। ऐसे में कौन रहेगा पहाड़ में? क्यों रहे पहाड़ में? न अच्छे स्कूल, न स्वास्थ्य सुविधाएं, न रोजगार और न सुरक्षा तो फिर पहाड में रहे ही क्यों? किसी घटना के बाद प्रशासन जागता है और ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए पीआरडी जवानों को तैनात कर देता है। कुछ पिंजरे लगाए जाते हैं और इंतजार किया जाता है कि वन्य जीव को आदमखोर घोषित किया जाएं।
रिखणीखाल के कानूनगो प्रीतम सिंह ने बताया कि घर से करीब डेढ़ किमी दूर झाड़ियों में बच्चे का एक पैर मिला है। अब उसके बचे होने की उम्मीद कम ही है, तलाश जारी है।
घटना के बाद क्षेत्र में दहशत बनी हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के पास काफी दिनों से एक गुलदार दिखाई दे रहा था। सोमवार को घटना से करीब आधा घंटा पहले भी गांव लौट रहे ग्रामीणों को रास्ते में गुलदार दिखा था। देवियोखाल और गुठेरथा क्षेत्र में गुलदार के हमले की यह पहली घटना है!