देहरादून NIU ✍️ उत्तराखंड प्रदेश के विभिन्न जनपदों में अवरुद्ध मार्गों को खोलने के लिए मा0 मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा दिए गए सख्त निर्देशों का व्यापक असर हुआ। मात्र चार दिन में ही 307 अवरुद्ध मार्गों को खोल लिया गया। वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 174 सड़कें बंद हैं। मा0 मुख्यमंत्री ने इन मार्गों को भी जल्द से जल्द खोलने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने सचिव आपदा प्रबंधन को 25 सितंबर को अवरुद्ध मार्गों को खोलने के लिए की गई कार्रवाई तथा जो मार्ग नहीं खुल पाए हैं, कारण सहित विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
साथ ही मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि 19 सितंबर को सभी संबंधित विभागों के साथ बैठक कर जो मार्ग बंद हैं, उन्हें खोलने के लिए प्रभावी रणनीति बनाई जाए। उन्होंने कहा है कि जिस प्रकार का भी सहयोग मार्गों को खोलने के लिए संबंधित विभागों को चाहिए, जिलाधिकारी वह उपलब्ध कराएं और जल्द से जल्द मार्गों को खोलने सुनिश्चित करें।
पिछले दिनों भारी बारिश के कारण राज्य के अलग-अलग जनपदों में काफी संख्या में मार्ग अवरुद्ध हो गए थे, जिसके कारण लोगों को आवाजाही में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। सबसे ज्यादा ग्रामीण सड़कें अवरुद्ध होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों का संपर्क अन्य क्षेत्रों से कट गया था।
मुख्यमंत्री ने आम जनमानस की दिक्कतों को देखते हुए सचिव आपदा प्रबंधन को जल्द से जल्द मार्ग सुचारु करवाने के लिए व्यापक रणनीति बनाने के निर्देश दिए।
मा0 मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा था कि सड़कों को खोलने में किसी तरह की हीलाहवाली बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जो भी अधिकारी लापरवाही बरतेंगे उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई के निर्देश मा0 मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए। मा0 मुख्यमंत्री की सख्ती का असर यह हुआ कि चार दिन में 307 सड़को को खोलकर यातायात सुचारु कर दिया गया है।
दिनांक 14 सितंबर को जहां प्रदेश के विभिन्न जनपदों में लोक निर्माण विभाग, एनएच, पीएमजीएसवाई की कुल मिलाकर 481 सड़कें बंद थी, वहीं दिनांक 18 सितंबर को 174 सड़कें बंद हैं। इस प्रकार चार दिन में ही 307 अवरुद्ध सड़कों को खोल लिया गया है। मा0 मुख्यमंत्री ने जो मार्ग अभी नहीं खुल पाए हैं, उन्हें जल्द से जल्द खोलने तथा जिन मार्गों को खोलने में कुछ ज्यादा समय लग सकता है, उनकी विस्तृत रिपोर्ट सचिव आपदा प्रबंधन को भेजने के निर्देश दिए हैं।
मगर बड़ा सवाल वहीँ का वहीँ है की इन संबंधित विभागों के आला अधिकारी बिना सख्ती के क्यों नहीं करते काम? कबतक जनता के पैसों से तनख्वाह प्राप्त कर काटते रहेंगें मौज? आखिर समय पर कार्य करने हेतु जिम्मेदारी क्यों नहीं होती तय, हर कार्य के लिए मुख्यमंत्री के निर्देशों का इंतेजार क्यों ?…