दीप मैठाणी, NIU ✍️ देहरादून, भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) एक संवैधानिक निकाय है जिसका कार्य चिकित्सा शिक्षा की स्थापना और उसके उच्च मानकों को बनाए रखना और भारत में चिकित्सा अर्हता की स्तर की पहचान करना है,
परन्तु निंदनीय है की भ्रस्टाचार में कंठ कंठ तक डूबी उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी से भ्रस्टाचार यहाँ भी अछुता नहीं हैं, यहाँ लम्बे समय से गम्भीर आरोप लग रहें है भारतीय चिकित्सा परिषद के वर्तमान अध्यक्ष डॉ जनानंद नौटियाल पर उनपर आरोप है की उन्होंने नियमों को तांक पर रख निजी स्वार्थ के चलते गलत तथ्य प्रस्तुत कर खुद को ही भारतीय चिकित्सा परिषद का अध्यक्ष नियुक्त करवा लिया था इस प्रकरण ने तूल पकड़ा साथ ही आचार संहिता लागु हो गयी तो सरकार ने ये नियुक्ति निरस्त कर दीं परन्तु इस दौरान फर्जीवाड़ा कर अध्यक्ष बनें डॉ जनानंद नौटियाल आठ माह तक सरकारी भत्ते पर मौज काटते रहे और सरकार से मार्च 2022 से जून 2023 तक 52,000 का भत्ता लेते रहे,
आठ माह बाद डॉ जनानंद नौटियाल ने प्रसाशन से सांठ गाँठ कर पुन: खुद को एक बार फिर अध्यक्ष नामित करवा लिया इस दौरान उन्होंने पांच अन्य गैर पंजिकिर्त सदस्य भी नियमों को धत्ता बताते हुए नियुक्त करवा लिए ये ऐसे सदस्य हैं जिनका नाम तक निर्वाचन सूचि में अंकित नहीं था परन्तु फिर भी ये सब हो गया, ये मामला भी न्यायालय में विचाराधीन है, ऐसे में अब वर्तमान अध्यक्ष डॉ जनानंद नौटियाल पर उनकी एम् डी को लेकर सवाल उठ रहें हैं, सरकारी नियमावली के तहत 8 अप्रैल 2022 में नोटिस भी जारी किया गया था परन्तु फिर भी हठधर्मिता दिखाते हुए डॉ जनानंद नौटियाल ने आज 2024 तक उस नोटिस का जवाब तक नहीं दिया है….बड़ा सवाल है की आखिर इतनी हठधर्मिता डॉ जनानंद नौटियाल किसकी शय पर दिखा रहें हैं?
अब एक बार फिर अपर सचिव विजय कुमार जोगदंडे द्वारा डॉ जनानंद नौटियाल को नोटिस भेजा गया है, यहाँ पर बड़ा सवाल उठ रहा है की आखिर कौन है डॉ जनानंद नौटियाल जो खुद को प्रसासन से भी ऊपर समझ रहें हैं पहले तो गलत हलफनामा दाखिल कर फर्जीवाड़ा करतें है फिर कारण बताओ नोटिस दिए जाने पर भी जवाब नहीं देतें हैं, अब देखना दिलचस्प होगा की अपर सचिव द्वारा दिए गए नोटिस का जवाब आता है या नहीं….