रिपोर्ट : मोहन प्रसाद मीणा✍️ मथुरा, NIU। ठाकुर श्री प्रियाकान्त जू मंदिर प्रांगण में ब्रज की सम्पूर्ण सतरंगी होली खेली गयी। टेसु के रंगों में भीगे श्रद्धालुओं ने होली के गीतो पर झूमते हुये कभी लड्डू-जलेबी खाये तो कभी राधा-कृष्ण स्वरूपों के हाथों से मीठे लठ्ठों का प्रसाद पाते दिखे। मंदिर अट्टालिका से देवकीनंदन महाराज ने हाइड्रोलिक पिचकारी से जैसे ही टेसु का सुगंधित रंग बरसाया, प्रांगण में मौजूद हर श्रद्धालु झूमकर नृत्य करने लगा। सतरंगी छटाओं के बीच यहाँ श्रद्धालु तीन घंटे तक होली का आनंद लेते रहे।
प्रियाकान्त जू मंदिर पर ब्रज की होली के सातों रंग जीवन्त हो उठे। ब्रज के गोप-ग्वालों के हास परिहास, रसिया से शुरू हुई होली की ठिठोली लठामार होली में बदल गयी। इसके बाद राधा-कृष्ण स्वरूपों ने हजारों श्रद्धालुओं के बीच जाकर लड्डू और जलेबी लुटाते हुये मीठी होली खेली। मुख्य मंच पर श्रद्धालुओं ने रंग-बिरंगे फूलों से फूलों की होली खेली तो वातावरण में पुष्प-पत्तियों की अनुपम छटा बन गयी। ‘‘मै होरी खेलूं रसभरी….प्रियाकान्त जू संग…’’ फाग खेलन बरसाने आये, नटवर नंद किशोर…., जैसे होली गीतों के बीच देवकीनंदन महाराज ने श्रद्धालुओं पर गुलाल बरसाया। उड़त गुलाल, लाल भये बदरा….गीत पर नृत्य करते हुये श्रद्धालुओं ने लाल-गुलाबी-हरे गुलाल से आपस में भी खूब होली खेली।
अंत में मंदिर की अट्टालिका से श्रद्धालुओं पर हाईड्रोलिक पिचकारी से टेसु का सुगंधित रंग बरसाया गया । देवकीनंदन महाराज जिधर भी पिचकारी को घुमाते, प्रांगण में मौजूद श्रद्धालु उधर झूमकर नृत्य करने लगे।
इस अवसर पर देवकीनंदन महाराज ने कहा कि सनातनी त्यौहारों को पूरे धूमधाम और उत्साह से मनाना चाहिये । होली हमारे जीवन में उत्साह और उमंग के नये रंग भरती है । यह आपसी प्रेम का पर्व है, इसे बिना नशे के और किसी को परेशान किये मनाना चाहिये।