![जानलेवा हो सकती है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ये लापरवाही, जहरीली दवाइयों के चलते जैव विविधता से लेकर पर्यावरण को खतरा । Exclusive NIU जानलेवा हो सकती है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ये लापरवाही, जहरीली दवाइयों के चलते जैव विविधता से लेकर पर्यावरण को खतरा । Exclusive NIU](https://www.newsindiaupdate.com/wp-content/uploads/2023/02/IMG-20230209-WA0016-1024x768.jpg)
✍️दीप मैठाणी NIU राजधानी देहरादून का ऋषिकेश हरिद्वार हाईवे यूं तो यह हाईवे पर्यटकों से लेकर उत्तराखंड वासियों को चार धाम पहुंचाने का काम करता है, परंतु कुछ असामाजिक तत्वों ने इसे अपना डंपिंग ग्राउंड समझ लिया है, जी हां हम बात कर रहे हैं ऐसी डंपिंग की जिसे देखकर आप भी हैरान व परेशान हो जाएंगे, क्योंकि जिस समान कि यहां पर डंपिंग की जा रही है उस सामान से क्षेत्र के वन्यजीवों से लेकर स्थानीय नागरिकों की जान पर आफत आ सकती है।
आपको बता दें की हरिद्वार ऋषिकेश हाईवे टोल टैक्स से दो किलोमीटर पहले जोगीवाला पर लगातार कोई व्यक्ति जगह जगह मेडिकल वेस्ट (दवाइयां) का डंप कर रहा है,
भारी तादाद में एक्सपायर हो चुकी दवाइयों का जखीरा आए दिन इस सड़क के किनारे जंगल में मिल रहा है और यह जंगल में ज्यादा दूर अंदर भी नहीं बल्कि बिल्कुल हाईवे के पास ही पड़ा मिलता है जिससे जैव विविधता से लेकर पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है, देखें तस्वीरें।।
बीती जनवरी की 10 तारीख को भी यहां पर एक्सपायर हुई दवाइयों का जखीरा मिला था जिसमें भारी तादाद में नींद की दवाइयां थी हैरानी की बात है कि एक्सपायर हुई उन दवाइयों को यहां पर छोड़ने वाले का अभी तक कोई भी अता पता नहीं चल पाया है, और इसके 2 दिन बाद फिर एक स्थान पर काफी मात्रा पर एक्सपायर हुई दवाइयां प्राप्त हुई थी, परंतु उससे भी बड़ी हैरानी की बात है कि आज लगभग पूरा 1 माह बीत जाने के बावजूद अभी तक शासन प्रशासन या किसी भी कर्मचारी के द्वारा इस मेडिकल वेस्ट को यहां से नहीं उठाया गया है,
पूर्व में जब 10 जनवरी को यहां पर नींद की दवाइयों का जखीरा मिला था तब सामाजिक कार्यों में तत्परता से भूमिका निभाने वाले संगठन Next Evolution of World welfare society (NEW) सामाजिक संस्था के अध्यक्ष, हरप्रीत सिंह (Rusty) द्वारा MPPC के माध्यम से उस मेडिकल वेस्ट का निस्तारण करवाया गया था।
परंतु बाद में मिला एक्सपायर मेडिकल वेस्ट आज तक अपने स्थान पर बिखरा हुआ, एक्सपायर हुई है दवाइयां पर्यावरण के लिए कितनी घातक साबित हो सकती है इसका आप और हम सिर्फ अंदाजा ही लगा सकते हैं, कोई जानवर अगर इन दवाइयों को खा ले तो उससे उस जानवर को कितनी बीमारियां हो सकती हैं इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है, परंतु बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग हो चाहे कोई अन्य विभाग किसी भी विभाग ने जहमत नहीं उठाई कि इस मेडिकल वेस्ट को ठिकाने लगाया जाए जबकि इसके लिए बीती जनवरी 23 तारीख को पत्र तक लिखा गया था।।
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रस्टी सिंह इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं परंतु कोई भी संबंधित संस्थान इसका संज्ञान नहीं ले रहा है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर मूकदर्शक बना हुआ है, यूं खुले में बिखरी ये एक्सपायर हुई दवाइयां कभी भी किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकतीं हैं, परंतु फिर भी प्रशासन आंख कान बंद किए हुए हैं।। इन दवाइयों को कौन यहां पर डाल कर चला जाता है यह आज तक पता नहीं चल पाया है परंतु अगर शासन प्रशासन चाहता तो इन दवाइयों पर अंकित बैच नंबर से पता लगा सकता था कि यह दवाइयां किसने खरीदी व किसने बेची और किसके पास अंतिम में एक्सपायर हुई, परंतु जब खुले में बिखरे इस कचरे को ही हटाने की प्रशासन की मंशा नहीं तो भला अपराधी को पकड़ने की मंशा कहां से होगी?
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Next Evolution of World welfare society (NEW) सामाजिक संस्था के अध्यक्ष, हरप्रीत सिंह (Rusty) बताते हैं कि उन्होंने संबंधित विभागों से कई बार संपर्क साधा एक बार तो उन्होंने एमपीसीसी की मदद से इन जानलेवा बीमारियों को ठिकाने भी लगवाया परंतु बाद में एमपीसीसी ने साफ कह दिया कि उनकी भी सीमाएं हैं, वह बार-बार यह काम नहीं कर सकते हैं, परंतु अन्य सरकारी विभागों ने भी अभी तक उनका सहयोग नहीं किया।।
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वहीं आपको बता दें की चिकित्सा अपशिष्टों के पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित निपटान के लिये अधिकृत कॉमन बायो-मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट एंड डिस्पोज़ल सुविधाएँ हर प्रदेश में उपलब्ध होती हैं जिनका उपयोग कर ऐसी दवाइयों को ठिकाने लगाया जा सकता है परंतु बावजूद इसके कुछ मूर्खों द्वारा यह दवाइयां सड़कों के किनारे फैलाई जा रही हैं जिससे भविष्य में खासा नुकसान हमें उठाना पड़ सकता है, “Common Bio-medical Waste Treatment and Disposal Facilities”
अब बड़े सवाल है कि हम सभी करो ना जैसी महामारी भुगत चुके हैं ऐसे में सड़क किनारे खुले में बिखरी ये एक्सपायर हुई दवाइयां अगर कोई दुष्परिणाम छोड़ती है तो उसका अंजाम क्या होगा?
किसी जानवर ने इसे खा लिया तब क्या होगा? अगर बंदर इन दवाइयों को यहां से उठाकर शहरी आमजन के बीच पहुंचा दें तब क्या होगा? अगर बरसात हुई और यह दवाइयां पानी के साथ बहकर अन्य इलाकों में पहुंची और कोई बड़ा नुकसान हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा, ऐसे कई गंभीर सवाल है जो मन को कुरेद रहे हैं, परंतु शासन प्रशासन हैं की आंख, कान बंद किए हुए हैं।