
रिपोर्टर- सुनील सोनकर
पहाडों की रानी मसूरी से लगभग 15 किलोमीटर दूर दुधली भदराज पहाड़ी पर स्थित भगवान बलराम के मंदिर में लगने वाला दो दिवसीय भदराज मेला संपन्न हो गया। मेले में जौनसार, पछुवादून, जौनपुर, मसूरी, विकास नगर और देहरादून सहित अन्य इलाकों के हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान बलभद्र का दुग्धाभिषेक किया। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। यह उत्तराखंड में भगवान बलराम का एकमात्र मंदिर है। नगर पालिका की सीमा के अंर्तगत लगने वाला भदराज देवता के मेले में हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान भदराज का दूध, घी, मक्खन व दही से अभिषेक किया व पशुधन की सुरक्षा एवं परिवार की खुशहाली की कामना की।

मेले में मसूरी सहित आस पास के गांवों सहित देहरादून, जौनसार व जौनपुर आदि से श्रद्धालुओं का दिन भर तांता लगा रहा। पहाड़ों की रानी मसूरी नगर पालिका सीमा के अंतर्गत करीब 15 किमी दूर आयोजित भगवान भदराज का प्रसिद्व धार्मिक एवं पर्यटन मेला बडी़ धूमधाम से मनाया गया। भाद्रपद माह के पहले व दूसरे दिन मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान बलभद्र को दही, दुग्ध, खीर, मक्खन और फल आदि चढ़ाकर पूजा-अर्चना की और परिवार एवं पशुधन की कुशलता के लिए मन्नत मांगी।
यह आस्था का ही प्रमाण है कि रात खुलने से पहले ही सैकड़ों भक्तों की मंदिर के बाहर लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थी और यह सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। इस मौके पर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के युवक- युवतियों ने पारंपरिक वाद्य यंत्र के साथ लोक नृत्य प्रस्तुत किया वहीं लोक कलाकारों की प्रस्तुति पर लोग जमकर थिरके।
मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेश नौटियाल ने बताया कि भदराज मेला सदियों से आयोजित किया जा रहा है जिसको आगे बढ़ाने का काम उनकी समिति द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भदराज मंदिर समिति द्वारा भदराज मंदिर के आसपास के क्षेत्र में गौशाला बनाने का निर्णय लिया है जिससे कि शहर और गांव में घूमने वाली गायों के संरक्षण किया जा सके वहीं दूसरी ओर भदराज मंदिर समिति द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वाले आठ लोगों को भदराज गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भी आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा भदराज मेले को राजकीय मेल घोषित किया कर दिया गया है और आने वाले समय में भव्य रूप लेगा। उन्होंने कहा कि भदराज मंदिर तक आने वाली सड़कों को लेकर भी मंदिर समिति लगातार काम कर रही है और जल्द विकास नगर से मंदिर तक और मसूरी दुधली से मंदिर तक की सड़क को बेहतर किया जाने का काम किया जायेगा।

मंदिर के पुजारी दीपक पुंडीर ने बताया कि मेले में मसूरी, देहरादून, पछवादून, विकासनगर, जौनसार, रवाई समेत दूरस्त क्षेत्रों से लोगों की आस्था का सैलाब उमड़ा है। अधिकांश भक्तजन 10 से 15 किमी पैदल सफर तय कर अपने अराध्य देव भगवान बलभ्रद के दर्शन को पहुचें। इस दिन मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए गए। जिसे मंदिर में जाकर चढ़ाया गया। मंदिर के पुजारी मनोज तिवारी ने बताया कि महाभारत के समय पर कृष्ण के भाई बलराम मसूरी के इस दूरस्थ क्षेत्र दुधली में भ्रमण के लिए निकले थे और वहां जाकर गौपालकों को प्रवचन दिए तथा गौ की महत्ता से अवगत कराया तभी यहां मंदिर बनाया गया। उन्होने यहां विश्राम किया था और तभी से इस स्थान को ग्रांमीणों द्वारा पूजा जाता है और प्रत्येक वर्ष यहां इसी दिन पूजा अर्चना की जाती है और श्रद्धालु यहां पर भगवान भदराज के दर्शन करने आते हैं।