
मुजीब नैथानी NIU✍️ शास्त्री जी की नैतिकता भाजपा में नहीं मिल सकती। मजदूरों द्वारा बार बार आगाह करने के बावजूद तथाकथित वैज्ञानिक गैंग ने मजदूरों की बात नहीं मानी । लिहाजा मजदूरों की भविष्यवाणी सही हुई। वहां मौजूद मजदूर बता रहे हैं कि उक्त स्थल का सही ट्रीटमेंट होने तक मजदूरों ने प्रबंधन को काम करने से मना किया था, मगर प्रबंधन उल्टा ही मजदूरों को धमकाने में लगा था। 41 में से केवल 13 मजदूर श्रमिक के तौर पर पंजीकृत हैं। यह काफी है मजदूरों की हितैषी सरकार के श्रम उल्लंघन की बानगी देखने के लिए। श्रमायुक्त ने कभी भी मजदूरों की दशा स्थिति की वास्तविकता देखने के लिए किसी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी/ अधिकारी तक को नहीं भेजा होगा। अधिकारी भी श्रमिकों की बजाय प्रबंधन के नौकर लगने लगते हैं। आनंदा होटल प्रकरण में तत्कालीन उपजिलाधिकारी भी ऐसी ही भूमिका में नजर आए थे, जबकि तत्कालीन थानाध्यक्ष एसपी सती जी और एलआईयू इंस्पेक्टर थपलियाल जी लगातार मजदूरों के हितों के लिए चिंतित थे अपनी भूमिका ठीक उलट होने के बावजूद उनके अंदर का गढ़वाली जिंदा था।
बागेश्वर बाबा की भविष्यवाणियों से बाहर आने की जरूरत है ,मजदूरों के अनुभव और वैज्ञानिकों की चेतावनियों को खारिज करने से मोदी सरकार का नहीं हिमालय वासियों का भविष्य अधर में है।
एक छोटी बात यह भी है कि फायर डिपार्टमेंट छोटी छोटी फैक्ट्रियों में मजदूरों की सुरक्षा के नाम पर इतने कानूनी उपकरण लगवाने को कहता है और इतने बड़े राष्ट्रीय महत्व की परियोजना में इसकी भूमिका छिपाने की कोशिश की जा रही है। चार मंजिला भवन में स्केप स्टेयर बनवाने वाले विभाग ने यहां का स्केप प्लान ही नहीं देखा।
बहरहाल , राष्ट्रीय महत्व की परियोजना में इतनी भयावह लापरवाही उच्चस्तर के मंत्री और सचिव का इस्तीफा तो लाजमी है ताकि मृत सिस्टम को बिजली का करंट देकर जिंदा करने की कोशिश की जा सके।
उधर ईटीवी बता रहा है कि
“उत्तरकाशी टनल हादसे का निरीक्षण करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के स्वागत के लिए रेड कार्पेट बिछाया गया. ये देखकर कुछ लोगों को हैरानी भी हुई. एक तरफ 41 जिंदगी टनल के अंदर पिछले 8 दिन से फंसी है. दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री के लिए स्वागत में कोई कमी नहीं की जा रही है।”