रिपोर्टर सुनील सोनकर ✍️ NIU जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, के अधीन ट्राईफेड द्वारा इस वर्ष होटल गढ़वाल टेरेस, मॉल रोड, मसूरी में 6 दिवसीय आदिचित्र (आदिवासी पेंटिंग) की प्रदर्शनी एवं बिक्री का आयोजन किया गया है । अन्य कुछ राज्यों में आयोजित ऐसी प्रदर्शनी का आयोजन उत्तराखण्ड में पहली बार किया गया है । इस प्रदर्शनी में मध्य प्रदेश की गोंड पेंटिंग, उड़ीसा की सौरा और पट्टाचित्र पेंटिंग, महाराष्ट्र की वरली पेंटिंग और गुजरात की पिथौरा पेंटिंग को प्रदर्शित और इसकी बिक्री भी की जाएगी। इस प्रदर्शनी में आदिवासी पेंटर द्वारा लाइव पेंटिंग भी की गई। प्रदर्शनी का शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संजय टोलिया निदेशक, जनजाति कल्याण निदेशालय एवं मुख्यमंत्री के अतिरिक्त सचिव, उत्तराखंड सरकार द्वारा रिबन काटकर किया गया।
इस मौके पर प्रीति टोलिया उप महाप्रबंधक एवं क्षेत्रीय प्रबंधक, ट्राइफेड द्वारा शॉल भेट का मुख्य अतिथि का स्वागत किया गया। प्रदर्शनी के उद्घाटन के दौरान चकराता क्षेत्र से आये जौनसारी जनजाति कलाकारों द्वारा वाद्य यंत्र की प्रस्तुति भी दी गई जिससे सभी मौजूद लोगों के मन को मोह लिया।प्रदर्शनी में विभिन्न राज्यों के जनजातीय कारीगरों और शिल्पकारों ने अपने द्वारा हस्तनिर्मित सर्वाेत्तम उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री की। थारू, भोटिया, राजी और जौनसारी जैसे जनजातीय कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया। नगालैंड, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और अन्य राज्यों के कारीगरों और शिल्पकारों ने स्वदेशी हस्तनिर्मित उत्पादों का बिक्री करने के लिए उनका प्रदर्शन किया। उन्होंने विविध प्रकार के हस्तशिल्पों द्वारा आभूषणों, शीतकालीन पोशाकों, ट्राइबल फ्यूजन फैशन, चित्रकलाओं, कालीन, पारंपरिक दवाओं और अन्य चीजों का प्रदर्शन किया। ऐपन चित्रकारी और पॉटरी निर्माण जैसी जीवंत गतिविधियों का भी आयोजन किया गया। संजय टोलिया निदेशक, जनजाति कल्याण निदेशालय ने कहा कि जनजातीय कलाकारों की प्रतिभा को बढ़ावा देने और उनकी कला को संरक्षित रखने के उद्देश्य से ट्राइफेड आदिचित्र का आयोजन करता है । प्रदर्शित चित्रों की बिक्री से जनजातीय कलाकारों को आय अर्जित होती है और उन्हें प्रोत्साहन मिलता है ।
उन्होंने यह भी कहा कि पारंपरिक संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होने कहा कि प्रर्दषनी का आयोजन आत्मनिर्भर भारत और लोकल फॉर वोकल की भावना को आत्मसात करता है। विभाग की यह कोशिश थी कि जनजातीय कारीगरों और शिल्पकारों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने और उन्हें वित्तीय लाभ प्रदान करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराया जाए। उन्होने कहा कि सरकार द्वारा देश की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने, उन्हें एक छत के नीचे एकजुट करने और कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ प्रदान करने की पहल की है। उन्होंने कहा कि मसूरी में प्रदर्शनी लगाई जाने का मुख्य उद्देश्य मसूरी में आने वाले पर्यटकों को जनजाति समुदाय के द्वारा बनाए गए उत्पादों स्ै रूबरू किया जा सके जिससे वह उत्पादों को खरीदें और उनके बारे में जानेंगे और जनजाति समुदाय को रोजगार के साधन उपलब्ध हो पाएंगे जिससे वह आर्थिक रूप से मजबूत हो सके और देश के मुख्य धारा से जुड़ सके । उन्होंने कहा की जनजातियों के उत्थान के लिए ट्राईबल डिपार्मेंट अलग से कार्य करता है उन्होंने कहा कि ट्राइबल डिपार्टमेंट वर्तमान में 16 आश्रम पद्धति स्कूल और चार एकलव्य स्कूल और तीन आईटीआई के साथ हॉस्टल्स संचालित किये जा रहे है जिसमें पूरे देश भर के जनजातियों के बच्चों को शिक्षा देने का काम किया जा रहा है और देष की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए तैयार किया जा रहा है उन्होंने कहा कि उत्तराखंए में चार एकलव्य स्कूल खुले गए हैं इसमें से दो दो जौनसार और दो उधम सिंह नगर में है वह जल्द एण्क स्कूल पौडी में खोलने की तैयारी चल रही है।