मयंक मिश्रा ✍️NIU उत्तर प्रदेश मैनपुरी हाथरस सत्संग में भगदड़ के बाद 116 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है, जिसकी आधिकारिक पुष्टि भी की जा चुकी है, यूपी में हुए इस दर्दनाक हादसे के बाद कोहराम मचा हुआ है. मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टेम के लिए आसपास के जिलों में भेजा गया. एटा मेडिकल कॉलेज में भी 27 लोगों के शवों को लाया गया था. जहां इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात एक सिपाही इतनी संख्या में लाशों को देखकर सदमे में आ गया और उसे दिल का दौरा पड़ा. जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गया. मृतक सिपाही एटा के क्यीआरटी अवागढ़ में तैनात था. हादसे के दौरान उसकी मेडिकल कॉलेज में इमरजेंसी ड्यूटी लगाई गई थी.जानकारी के मुताबिक सिपाही रवि यादव मुकरूप से अलीगढ़ का रहने वाला था. हाथरस में भगदड़ के बाद जब शवों और घयलों को मेडीक्ल कॉलेज लाया गया तो उसकी ड्यूटी वहां लगाई गई थी.
लाशों के ढेर को देखने का सदमा रवि यादव बर्दाश्त नहीं कर सका और हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई.हाथरस में हुए हादसे के बाद एटा में 30 लोगों को लाया गया था, जिसमे 27 लोग मृत पहुंचे थे और 3 लोग इंजर्ड थे, जिन्हे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. 27 मृतकों में से 20 लोगों की शिनाख्त की जा चुकी है. अभी 7 लोगों की शिनाख्त नहीं हुई है. 20 लोगों के शव का पोस्टमार्टम करने के बाद उनके शव को परिजनों का सौंप दिया गया. बाकी बचे 7 लोगों की शिनाख्त के प्रयास किए जा रहे है.
वहीं पुलिस ने 22 आयोजकों के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया है, लेकिन इसमें कथित बाबा नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का नाम नहीं है। हादसे के बाद से बाबा फरार बताया जा रहा हैं, वह अपने मैनपुरी आश्रम में भी नहीं मिला ऐसे में बड़ा सवाल है कि एक बाबा इस तरह कैसे और कहां लापता हो गया, समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए पुलिस उपाधीक्षक सुनील कुमार ने कहा कि पुलिस बाबा की तलाश में है। घटना के कारणों की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) आगरा और अलीगढ़ मंडल आयुक्त की एक टीम गठित की गई है। इन्हें 24 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। घटना के बाद 3 मंत्रियों- लक्ष्मी नारायण चौधरी, असीम अरुण और संदीप सिंह भी सत्संग स्थल गए थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सत्संग के आयोजन के लिए जो अनुमति ली गई थी, उसमें 80,000 लोगों के शामिल होने की बात कही गई थी।इसी आधार पर प्रशासन ने इंतजाम किए थे, लेकिन ढाई लाख से ज्यादा लोग पहुंचे गए, जिससे व्यवस्था चरमरा गई। बारिश के चलते उमस और कीचड़ से परेशानियां और बढ़ गईं।बताया जा रहा है कि सत्संग के लिए 8 दिन पहले से कई बीघा जमीन में टेंट लगाया जा रहा था।