रिपोर्ट: मोहन प्रसाद मीणा✍️ NIU बरसाने की प्रसिद्ध लड्डू मार होली मथुरा, बरसाना के प्रमुख श्रीजी मंदिर में बड़े ही धूम-धाम से लड्डू होली खेली गई/ बरसाना की लट्ठमार होली से ठीक एक दिन पहले खेली जाने वाली इस लड्डू होली का बृज में विशेष महत्त्व है। इस दिन नंदगाँव के हुरियारों को न्यौता देकर पांडा बरसाना लौटता है। जिसका सभी लड्डू फेंक कर स्वागत करते है/ मथुरा .बृज में लट्ठमार होली की परंपरा बेहद प्राचीन है और बरसाने को इसका केंद्र माना जाता है/ बरसाने की लट्ठमार होली के विश्वप्रसिद्ध होने की वजह है इसका परंपरागत स्वरुप बरसाने की हुरियारिनो से होली खेलने केे लिए नंदगाँव के हुरियारेे बरसाना आते है और इसके लिये बाकायदा एक दूत न्यौता देने नंदगाँव पहुँचता है जो आज के दिन लौट कर बरसाना आता है,
इस दूत को यहाँ पांडा कहा जाता है और जब ये पांडा लौट कर बरसाने के प्रमुख श्रीजी मंदिर में पहुँचता है तो यहाँ मंदिर में सभी गोस्वामी इकठ्ठा होकर उसका स्वागत करते है और बधाई स्वरुप पांडा पर लड्डू फेंकते है/ उसके बाद मंदिर प्रांगण में मौजूद भक्त भी पांडा के ऊपर लड्डू फेंकते है जिसे हम सभी लड्डू होली के नाम से जानते है/ इस दौरान मंदिर प्रांगण में ही समाज-गायन होता है, जिसमे पांडा के साथ भक्तगण भी होली के गीतों पर नाचते है/ इस होली में शामिल होने के लिये देश के कोने-कोने से भक्त बरसाना पहुँचते है और लड्डू होली का आनंद उठाते है। इस होली में शामिल होने वाले भक्तों के उत्साह की एक खास वजह यह है कि जो लड्डू खाने के लिये होता है इस दिन उन्हें इससे होली खेलने का मौका मिलता है और साथ ही अगले दिन होने वाली लट्ठमार होली को खेलने के लिये तो उन सभी के मन में उत्साह दुगुना हो जाता है, बरसाना की विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली आज बरसाना मे खेली जाएगी, द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने राधारानी और गोपियों के साथ लट्ठमार होली खेलने की शुरुआत की थी। लट्ठमार होली को देखने के लिए लोग दूर दराज से हर साल मथुरा आते हैं।—–बरसाना मे लट्ठ मार होली को लेकर पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था के किये पुख्ता इंतजाम—–